Day: October 18, 2024

जीवाश्च

जीवाश्च… यहाँ “च” से लेना –> जीवरुपी (संसार अवस्था में), अरूपी भी (स्वभाव की अपेक्षा,संसारी अवस्था में भी) मुनि श्री प्रणम्यसागर जी (तत्त्वार्थ सूत्र –

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मोह

जिससे मोह किया, वह आपको छोड़ेगा। मोह छोड़ा, तो आप उन्हें छोड़ेंगे। मुनि श्री मंगलसागर जी

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मंगल आशीष

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