Month: March 2025

तप

तप की परिभाषा के बारे में आगम में कहा… “इच्छा निरोध: तप:” आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज ने इसको सरल/ व्यावहारिक परिभाषा देते हुए कहा..

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सत् / सत्य

सत् अस्तित्व रूप है। सत्य हमेशा सत् हो आवश्यक नहीं। सत्य धर्म नहीं धर्म तो अहिंसा है, सत्य उसकी रक्षा करता है। निर्यापक मुनि श्री

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दान

एक ऐसा भी दान है जो श्रावक के पास न होते हुए भी, वह दे सकता है। वह है रत्नत्रय का दान। रत्नत्रयधारी मुनिराज को

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कन्यादान

कन्यादान को दान की श्रेणी में क्यों नहीं लिया ? दान उसे कहते है जिसमें उपकार का भाव होता है। निर्यापक मुनि श्री सुधासागर जी

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कर्मों का भार

हालांकि कर्म सूक्ष्म हैं पर संख्या में अनंतानंत। 63 प्रकृतियाँ समाप्त होते ही भगवान इतने हलके हो जाते हैं कि 5000 धनुष ऊपर उठ जाते

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शुद्ध भोजन

भोजन तो बाह्य क्रिया है तो शुद्ध भोजन को इतना महत्व क्यों दिया जाता है ? हमको तो अंतरंग मन को शुद्ध करना चाहिए ?

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भक्ति

भक्ति में गुणों से अनुराग है, पर प्रसन्न मन से करनी चाहिए। भक्ति भी मुक्ति/ कर्म निर्जरा/ पुण्य बंध में कारण है, सबसे सरल उपाय।

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दिगम्बरत्व

एक सिपाही ने मुझसे पूछा आपका यह दिगम्बर रूप समाज को क्या मैसेज देता है ? दिगम्बरत्व, कम अर्थ में काम चलाने का अर्थशास्त्र है।

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भगवान का अस्तित्व

नास्तिक ने कहा जब भगवान एक रूप नहीं है इससे सिद्ध होता है कि भगवान का अस्तित्व होता ही नहीं है। गुरु… सबके अपने अपने

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मंगल आशीष

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March 6, 2025