चौथे काल में जब धर्म-व्युच्छत्ति होती है, तब ना मुनि होते हैं, ना मंदिर, ना ही श्रावक, पर सम्यग्दृष्टि जीव रहते हैं,
और ऐसा होता है हुण्ड़ावसर्पिणी के प्रभाव से ।
पं. रतनलाल बैनाड़ा जी
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5 Responses
par “muni”, “mandir” aur “shraavak”, to existing kaal mein hain right?
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par “muni”, “mandir” aur “shraavak”, to existing kaal mein hain right?
तभी तो आचार्य श्री हमको प्राप्त हैं।
tab kaise keh rahe hain ki, “चौथे काल में धर्म-व्युच्छत्ति होती है” ।
पंचम काल के अंत तक धर्म-व्युच्छत्ति अब नहीं होगी ।
शांतिनाथ भगवान से पहले 2भगवानों के बीच में होती थी।
Okay.