73वाँ गणतंत्र दिवस

क्या इतने सालों में हम राजनीति/ धर्मादि के क्षेत्रों में पूर्वाग्रह की बेड़ियां तोड़ पाये हैं ?
अपनी मान्यताओं को मानने की मनाही नहीं है पर विपक्ष से द्वेष/घ्रणा करने की स्वतन्त्रता कैसे लेली ?

चिंतन

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One Response

  1. भारत हजारों साल पुर्व सोने की चिड़िया कहा जाता था। लेकिन मुगल शासन ने मन्दिरों को ध्वस्त किया गया था,तथा आम कत्लेआम हुआ था। इसके बाद अंग्रेजों का शासन रहा, उन्होंने पाश्चात्य संस्कृति को पैदा की थी। अंग्रेजों ने अंग्रेजी भाषा का चलन मेकाले द्वारा किया गया था ताकि भारत की संस्कृति बिगडती रहे।भारत स्वतंत्र होने पर महात्मा गांधी जी ने हिन्दी भाषा का प्रयोग कहा था। लेकिन भारत स्वतंत्र होने पर पं नेहरू ने 15 अगस्त को देश अंग्रेजी में उदबोधन किया गया था। इसके अतिरिक्त उन्होंने भारत के टुकड़े कराये गया था। इसके बाद भी मुसलनो को ज्यादा महत्व देने का प्रयास किया गया था।यह तुष्टिकरण की नीति अपनाने से भारत धर्म निरपेक्षता कायम रखने में असमर्थ है। धर्म निरपेक्षता में कोई भी जातियों को होगा सभी एक ही द्वष्टिकोण देखना चाहिए था।एक तो भारत का इतिहास बदलना आवश्यक होगा, इसके साथ इंग्लिश मीडियम को समाप्त करना आवश्यक है। भारतवर्ष में प़थम हिंदी भाषा साथ में क्षेत्रिय भाषाओं को उल्लेख होना चाहिए ताकि भारतवर्ष की उन्नति संभव होगी। आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी द्वारा बताया गया है कि इन्डिया की जगह भारत बोलना चाहिए। एवं आजकल के बच्चों को संस्कार देना परम आवश्यक है। राजनीति में द्वेष एवं घृणा का वातावरण बना है,उसको समाप्त होना चाहिए।यह जब ही संभव है जब तक हर राजनीतिक को भारत का जो संविधान बना है,उसका पालन करना अनिवार्य होना चाहिए ताकि द्वेष एवं घृणा समाप्त हो सकती है।।सर्व प्रथम भारत बोलना चाहिए एवं इंग्लिश मीडियम को समाप्त करना आवश्यक है, इससे भारतीय संस्कृति का विकास हो सकता है।

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