अभिमान
श्रीमति राधाबाई* ने एक दिन बहुत अच्छी मालिश की । मैंने उसकी बहुत प्रशंसा कर दी, तो बाई नाराज़ हो गयी ।
कारण ?
बाई – तुमने मेरा भगवान मार दिया ।
कैसे ?
बाई – प्रशंसा सुनकर मन में अभिमान आता ही है,
और जिस मन में अभिमान होता है उसमें भगवान नहीं रहते ।
* तेल मालिश करने वाली बाई
शशि