दवा, दान, पूजा, व़त शील आदि शुभ राग और चित्त-प़साद रुप परिणाम होना शुभोपयोग होता है। अतः शुभोपयोग सर्वथा उपादेय नहीं है बल्कि उपयोगी है। Reply
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दवा, दान, पूजा, व़त शील आदि शुभ राग और चित्त-प़साद रुप परिणाम होना शुभोपयोग होता है। अतः शुभोपयोग सर्वथा उपादेय नहीं है बल्कि उपयोगी है।
What about “Shudhupyog”?
सर्वथा उपादेय व उपयोगी ।
Okay.