मुसीबतें नसैनी के टूटे डंडे जैसी होती हैं ।
जो Extra पुरुषार्थ करके चढ़ते हैं, वे जल्दी मंज़िल पर पहुँचते हैं तथा भविष्य के लिये आदत भी पड़ जाती है ।
चिंतन
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जीवन में मुसीबतों का भण्डार जो टूटी हुई नसेनी के टूटे डंडे जैसा होता है जिस पर चढ़ने के लिए अलग से पुरुषार्थ करना होता है,तभी अपनी मंजिल पर पहुंचता है तथा भविष्य के लिए आदत भी पड़ जाती है। अतः जीवन में मुसीबतों से निपटने के लिए पुरुषार्थ तो करना चाहिए ताकि कल्याण हो सकता है।
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जीवन में मुसीबतों का भण्डार जो टूटी हुई नसेनी के टूटे डंडे जैसा होता है जिस पर चढ़ने के लिए अलग से पुरुषार्थ करना होता है,तभी अपनी मंजिल पर पहुंचता है तथा भविष्य के लिए आदत भी पड़ जाती है। अतः जीवन में मुसीबतों से निपटने के लिए पुरुषार्थ तो करना चाहिए ताकि कल्याण हो सकता है।
“नसैनी” ka kya meaning hai?
Temporary staircase.
Okay.