बड़े बोल

एक पंड़ित जी, मुझे लेकर साहू शांति प्रसाद जी से मिलने गये ।
साहू जी अधिकतर समय अपनी व्यस्तता का बखान करते रहे कि मेरा एक पैर जमीन पर तो दूसरा आसमान (हवाई जहाज) में ही रहता है ।
पंड़ित जी ने बाहर निकल कर कहा – लगता है, इनके खराब दिन आने वाले हैं ।
6 माह बाद पंड़ित जी का पत्र आया कि साहू जी को लकवा मार गया है, मल मूत्र विसर्जन भी बिस्तर पर ही हो रहा है । उसी हालात में उनका निधन हो गया ।

श्री लालमणी भाई

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