निश्चित
जो निश्चित है, उस पर विश्वास न होने से संकल्प/विकल्प रूप मानसिक दु:ख होता है।
निश्चित को मानने से संतोष आ जाता है जैसे मृत्यु को निश्चित मानने के बाद सोचता है – इतने में ही जीवन चल जायेगा।
आचार्य श्री विद्यासागर जी
जो निश्चित है, उस पर विश्वास न होने से संकल्प/विकल्प रूप मानसिक दु:ख होता है।
निश्चित को मानने से संतोष आ जाता है जैसे मृत्यु को निश्चित मानने के बाद सोचता है – इतने में ही जीवन चल जायेगा।
आचार्य श्री विद्यासागर जी
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निश्चित अटल रहता है। आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी का कथन सत्य है कि जो निश्चित है,उस पर विश्वास न होने पर संकल्प और विकल्प रुप मानसिक दुःख देता है। अतः निश्चित को मानने पर सन्तोष आ जाता है। जेसे मृत्यु को निश्चित मानने के बाद सोचता है,इतने में जीवन चल जायेगा।