तप
तप से/ताप (गर्मी) से हम बहुत घबराते हैं। जबकि ताप के बिना न अनाजादि पैदा होगा, ना ही उसे पचा (जठराग्नि) पायेंगे।
आचार्य श्री विद्यासागर जी
(जैसे ताप/ गर्मी शरीर के लिए आवश्यक है,
ऐसे ही तप आत्मा के लिए)
तप से/ताप (गर्मी) से हम बहुत घबराते हैं। जबकि ताप के बिना न अनाजादि पैदा होगा, ना ही उसे पचा (जठराग्नि) पायेंगे।
आचार्य श्री विद्यासागर जी
(जैसे ताप/ गर्मी शरीर के लिए आवश्यक है,
ऐसे ही तप आत्मा के लिए)
One Response
आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी ने तप का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है। जैन धर्म में तप की महत्वपूर्ण भूमिका है। अतः जीवन के कल्याण के लिए तप का पालन करना परम आवश्यक है।