राग-द्वेष
आँख खोलोगे तो मनोज्ञ/ अमनोज्ञ पदार्थ दिखेंगे ही, तब राग/ द्वेष के भाव होंगे ही। बचना है तो सिर/ आंख झुका कर रहना*।
ब्र.संजय (आचार्य श्री विद्यासागर जी)
(जैसे आचार्य श्री खुद रहते थे)
आँख खोलोगे तो मनोज्ञ/ अमनोज्ञ पदार्थ दिखेंगे ही, तब राग/ द्वेष के भाव होंगे ही। बचना है तो सिर/ आंख झुका कर रहना*।
ब्र.संजय (आचार्य श्री विद्यासागर जी)
(जैसे आचार्य श्री खुद रहते थे)
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4 Responses
आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी ने राग द्वेष को परिभाषित किया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन के कल्याण के लिए राग द्वेष को समाप्त करना परम आवश्यक है।
‘मनोज्ञ’ ka kya meaning hai, please ?
जो मन को अच्छा लगे।
Okay.