Category: 2020
आत्मा के भेद
आत्मा के भेद उनकी क्रियाओं के अनुसार आचार्य कुंद्कुंद ने किये हैं – जो बाहर की ओर देखे “बहरात्मा”, अंदर की ओर देखे “अंतरात्मा”, पापों
संक्रमण
आयु और मोहनीय का संक्रमण नहीं होता । गोत्र, नामकर्म आदि के संक्रमण सत्ता की अवस्था में ही संभव है, उदय में आने के बाद
श्रुतज्ञान
पाँचों ज्ञानों में सिर्फ श्रुतज्ञान ही स्वार्थ/ परमार्थ और द्रव्य/ भावश्रुत के भेद से 2 प्रकार का होता है । द्रव्यश्रुत ज्ञान जब भावश्रुत रूप
कर्मवर्गणा
2 बच्चों को एक सी गुड़ियाऐं लाकर दीं । पहचान कराने एक पर हँसता हुआ तथा दूसरे पर रोता हुआ चेहरा बना दिया । थोड़े
निर्विकल्प समाधि और केवलज्ञान
निर्विकल्प समाधि में ज्ञान – तात्कालिक, क्षयोपशमिक, एकांकी (जब आत्मा का ज्ञान, तब बाहर का नहीं) । केवलज्ञान – शाश्वत, क्षायिक, अनेकांकी होता है ।
मोहनीय / सुख
मोहनीय तो 10वें गुणस्थान के अंत में समाप्त हो जाता है तो अनंत सुख 11, 12, गुणस्थान में क्यों नहीं ? क्योंकि ज्ञान पर आवरण
असंज्ञी का ज्ञान
असंज्ञी का मतिज्ञान भी धारणा तक होता है । वे इंद्रियों की सहायता तथा भाव-श्रुत से (संज्ञाओं के उदय में) सारे काम करते हैं ।
ज्ञेयत्व
1. क्रोध के कारण ज्ञेय पदार्थ का क्रोधी ना होना, जैसे अग्नि से दर्पण गरम ना होना । 2. क्रोध का निमित्त पा आत्मा का
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