Category: 2010

मंगलाचरण

कषायपाहुड़ में मंगलाचरण नहीं लिखा गया है । कारण पूंछने पर बताया – इसका तो हर शब्द मंगलाचरण ही है ।

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शुभोपयोग/शुद्धोपयोग

7 वें गुणस्थान में उत्तम शुभोपयोग, संज्वलन की मंदता से, 99.99 % समय रहता है । शुद्धोपयोग 0.01 % समय रहता है । पं. रतनलाल

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पर्याय

जैसे हाइड़्रोजन और आक्सीजन मिलकर पानी बनता है, हल्दी और चूना मिलते हैं , तो लाल रंग के जाते हैं , वैसे ही पुदगल और

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सम्यग्दर्शन

सौधर्म इन्द्र और राजा श्री राम आदि सारे बलभद्र महान सम्यग्दृष्टि होते हैं, सारे बलभद्र क्षायिक सम्यग्दृष्टि होने का नियम नहीं है । पं. रतनलाल

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निगोद/मोक्ष में जीव

निगोद से 6 माह 8 समय में 608 जीव निकलते हैं, उतने ही मोक्ष जाते हैं, उनमें भव्य कितने ? ऐसा कहीं लिखा नहीं है

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केवली का ज्ञान

केवली निश्चय नय से आत्मा को जानते हैं, व्यवहार नय से सब जानते देखते हैं । व्यवहार नय ‘पर’ के आश्रित तथा निश्चय नय ‘स्व’

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योग/उपयोग

आत्मा का जिस समय जो प्रयोग होगा वही योग तथा उपयोग होगा । आचार्य श्री विद्यासागर जी योग       –  मन, वचन काय की क्रियायें ।

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मंगल आशीष

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December 5, 2010

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