Category: 2011

सम्यक्चारित्र

सम्यक्चारित्र को ही धर्म कहा है । पर यह सम्यक्चारित्र, सम्यग्दर्शन तथा सम्यग्ज्ञान के साथ होना चाहिये ।

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वैय्यावृत्य

समाधि की प्राप्ति, विचिकित्सा का निवारण और वात्सल्य की अभिव्यक्ति के लिये वैय्यावृत्य की जाती है । तत्वार्थ सूत्र

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बादर वायुकायिक

बादर वायुकायिक बारहवें स्वर्ग तक पाये जाते हैं, उसके ऊपर यदाकदा पाये जाते हैं । (ऊपर के देव सांस बहुत बहुत अंतराल के बाद लेते

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रौद्र ध्यान

प्रश्न :- देशविरत के रौद्र ध्यान कैसे हो सकता है ? उत्तर :- हिंसा के आवेश से या वैभव के संरक्षण से हो सकता है,

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ज्ञान

 श्री धवला जी के अनुसार, सुज्ञान और कुज्ञान के अलावा तीसरे गुणस्थान में मिश्रज्ञान भी होता है  । आचार्य श्री विद्यासागर जी

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वातवलय में जीव

वातवलय में जीव पांचों प्रकार के एक इंद्रिय (बादर और सूक्ष्म) जीव पाये जाते हैं । जिज्ञासा समाधान – 8/10

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गुण-प्रत्यय/भव-प्रत्यय

गुण-प्रत्यय और भव-प्रत्यय दौनों ही अवधिज्ञानावरण के क्षयोपशम से होते हैं, तो फर्क क्या हुआ ? भव-प्रत्यय प्रकट होने में व्रत आदि कारण नहीं होते

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प्रमाण

जो वस्तु को सर्वदेश जानता है, वह सम्यग्ज्ञान है /प्रमाण है। तत्वार्थ सूत्र – 21

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सम्मूर्च्छन

सम्मूर्च्छन मनुष्य लब्धि-अपर्याप्तक ही होता है । पं. रतनलाल बैनाड़ा जी

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मंगल आशीष

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September 27, 2011

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