Tag: मंजू

इनसान

सब कहते हैं कि इनसान में ख़ुदा होता है ! किससे पूछूँ कि ये इनसान कहाँ होता है !! (मंजु)

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भगवान और इनसान

मिट्टी की मूर्तियाँ बनाने वाला कलाकार ईश्वर से कहता है…..  हे प्रभु ! तू भी एक कलाकार है और मैं भी एक कलाकार हूँ, तूने

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पराक्रम / प्रेम

छोटी उँगली पर पूरा गोवर्धन पर्वत उठाने वाले, श्री कृष्ण, बाँसुरी दोनों हाथों से बजाते थे । बस इतना ही अंतर है, पराक्रम और प्रेम

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शरीर

शरीर स्वयं(अपनी आत्मा) का सोचा नहीं करता है, क्योंकि आत्मा, शरीर के लिए परद्रव्य है । (मंजु)

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मंज़िल

किसी की अंतिम यात्रा में जाओ तो यह मत समझना कि आप उसे उसकी मंज़िल पर ले जा रहे हैं… बल्कि , यह समझना कि

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विनम्रता

ऊँचा उठने के लिए पंखों की ज़रुरत केवल पक्षियों को ही पड़ती है.. मनुष्य तो जितना विनम्रता से झुकता है, उतना ही ऊपर उठता है

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अच्छे लोग

अच्छी किताबें, और अच्छे लोग…! तुरंत समझ में नहीं आते, उन्हें पढ़ना पड़ता है । (मंजू)

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उम्मीद

उम्मीदों से बंधा एक ज़िद्दी परिंदा है इनसान , जो घायल भी उम्मीदों से है, और ज़िंदा भी उम्मीदों पर है । (मंजू)

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आचरण

स्वर्ण कितना भी मूल्यवान क्यों ना हो, किन्तु सुगंधि पुष्प से ही आती है । हालाँकि श्रृंगार के लिये दोनों का ही महत्त्व है । इसी

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मंगल आशीष

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