Tag: मंजू

सुख

जो “प्राप्त” है, वह “पर्याप्त” है। इन शब्दों में सुख अपार है। (मंजू)

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कारण / भागेदारी

दूसरों के – सुख में “कारण” बनो, “भागीदार” नहीं । दुःख में “भागीदार”, “कारण” नहीं । (मंजू)

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परोपकार

चलो चाँद का किरदार निभायें हम सब, दाग अपने पास रखकर, रोशनी बाटें सबको । (मंजू)

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मायाचारी

मधुमक्खी के मुँह में शहद, दुम में डंक होता है। सावधान- हर मीठा बोलने वाला साधु नहीं होता । (मंजू)

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दौलत

डोर लम्बी होने का मतलब यह नहीं कि पतंग ऊपर जायेगी ही, उड़ाने का तरीका आना चाहिए । दौलत ज्यादा का मतलब सफलता नहीं, जीने

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मान

यदि आपको कोई छोटा दिखाई दे रहा है तो इसके दो ही मतलब हैं – या तो आप उसे दूर से देख रहे हैं ,

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सुधार

दुनिया को सुधारना बहुत आसान है, शर्त एक ही है कि इस सुधार की शुरुआत खुद अपने से हो। (मंजू)

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धर्मात्मा

धर्मात्मा बर्फ के डेले जैसे होते हैं, उन्हें तोडो / चूरा कर दो ,फिर भी वे शीतलता ही देंगे। (मंजू)

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मंगल आशीष

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