Tag: मुनि श्री सुधासागर जी

क्षीरसागर

क्षीरसागर का जल दूध नहीं होता, उसमें दूध जैसे गुण होते हैं, है तो प्रासुक जल ही । मुनि श्री सुधासागर जी

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बंध / कर्मक्षय

10 वें गुणस्थान में मोहनीय का क्षय हो रहा है पर बाकी ३ घातिया कर्मों का बंध भी हो रहा है । मुनि श्री सुधासागर

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दान

दान दिया नहीं जाता, बोया जाता है । मुनि श्री सुधासागर जी

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अंतिम क्रियायें

मृतक को नहलाना, श्रंगार करना, पैर छूना, ये सब मिथ्यात्व की क्रियायें हैं । मुनि श्री सुधासागर जी

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संलेखना

इसमें काय और कषाय को क्षीण करने को कहा है पर आयु के निषेकों को क्षीण/उदीरणा करने को नहीं । मुनि श्री सुधासागर जी

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उपाध्याय

जो संघ में रहकर मुनियों को शिक्षण दें । मुनि श्री सुधासागर जी

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भ्रम

स्पर्श, रस, गंध और वर्ण पुदगल में हैं और आत्मा उसे आत्मसात कर अपने में मान रही है ! (खुद को शरीर मान बैठी है)

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एकलव्य / अर्जुन

इनमें से कौन बड़ा ? जिन्हें गुरु प्राप्त नहीं होते, उनमें एकलव्य बड़ा, जिन्हें गुरु प्राप्त होते हैं, उनमें अर्जुन बड़ा । मुनि श्री सुधासागर

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अमूढ़-दृष्टि / स्थिति-करण

रेवती रानी ने समवसरण को नहीं स्वीकारा, राजा श्रेणिक ने गलत आचरण वाले मुनि को नमोस्तु किया, सही कौन ? दोनों सही, रेवती रानी ने

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भगवान के जन्म

भगवान पापियों का नाश करने नहीं, पुण्यात्माओं का उद्धार करने जन्मते हैं, जैसे जमीन में पानी ढ़ूंढ़ने के लिये नारियल का प्रयोग किया जाता है

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मंगल आशीष

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