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व्रत/संगति
व्रत की गाड़ी एक बार खरीदी जाती है पर पैट्रोल डालते रहना होगा/Maintenance लगातार करनी पड़ेगी, गुरुवचन/संगति आवश्यक रहेगी । आचार्य श्री विद्यासागर जी
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जब निर्जीव खरबूजा खरबूजे को देखकर रंग बदल सकता है, तो हम तो सजीव हैं तो अच्छी/बुरी संगति का असर हम पर नहीं होगा ?
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यदि वातावरण का असर न होता, तो संतरा नागपुर में तथा सेब काश्मीर में ही पैदा क्यों होते हैं ? श्री के. सी. पचौरी (S.S./ N.Rly.)
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नाली का पानी यदि गंगा में मिल जाये तो गंगाजल बन जाता है, (पर सावधान-) यदि गंगा का पवित्र जल नाली में डाल दो तो
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खरबूजे को देखकर खरबूजा रंग बदलता है । जैसी संगति वैसे बनोगे । मंदिर जाओगे भगवान जैसे, गुरूओं की सेवा में रहोगे त्याग/संयम के भाव
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गांव में रहो तो वैसी ही भाषा, वैसा ही आचरण हो जाता है, शहर की बात तो कर लेते हैं पर वैसी भाषा और आचरण
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साधु संगति की महिमा दूध पानी जैसी है, पानी दूध के साथ मिलकर दूध के भाव ही बिकने लगता है । मुनि श्री कुन्थुसागर जी (पर
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सेना जब पुल से पास होती है तब कदम मिलाकर नहीं चलते वरना एक साथ कदम-ताल से पुल भी उसी ताल में हिलने लगता है
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सोना जलता नहीं, अशुद्धि ही जलती है, पर अशुद्धि के सम्पर्क में आकर सोने को भी तपना पड़ता है। आचार्य श्री विद्यासागर जी
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असली फूलों के गुलदस्ते में से यदि एक फूल निकालकर नकली फूलों के गुलदस्ते में लगा दें और एक नकली फूल निकालकर असली गुलदस्ते में,
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