Tag: गुरू
गुरू
गुरू के पीछे चलोगे तो, गुरूता आयेगी, गुरू की टांग खीचोगे, तो अपनी टांगो पर खड़े नहीं हो पाओगे । चिंतन
गुरू
माता पिता के लाड़ प्यार से गुरू की ड़ांट ज्यादा उपयोगी होती है । आचार्य श्री विद्यासागर जी
देव/शास्त्र/गुरु
देव, शास्त्र, गुरु को जिन्होंने अपना मालिक बना लिया है, उनके जीवन में कर्म चोर, मालिक को देखकर भाग जाते हैं । मुनि श्री सौरभसागर
सच्चा गुरु
हम सबको सच्चे गुरु की तलाश होती है, सच्चा गुरु तब मिलता है जब हम सच्चे शिष्य बन जाऐं । मुनि श्री प्रतीकसागर जी
भक्ति/आदर
यदि सिंदूर को पत्नी माथे पर धारण करले तो उस एक चुटकी सिंदूर से पत्नी से पति बंध जाता है । ऐसे ही भक्ति/आदर से
मांझी
मांझी पहले दूसरों को किनारे पर उतारता है फिर खुद उतरता है । गुरू/भगवान भी हमको पहले किनारे पहुंचाना चाहते हैं, फिर खुद मोक्ष जाते
भगवान/गुरू
पृथ्वी का वह भाग अंधकारमय हो जाता है जिसका सूर्य की ओर मुँह नहीं होता है ।
गुरू
कुछ लोग गुरू से नाराज़ ही रहते हैं क्योंकि वे Rude होते हैं । सोते हुये को जो जगाता है, उससे नादान, प्रमादी, अज्ञानी लोग
गुरू
मार्ग पर चलते समय यदि कोई बोलने वाला मिल जाये, तो रास्ता सरल हो जाता है । और यदि रास्ता बताने वाला मिल जाये, तो
गुरू वचन
गुरू वचन स्वाति-नक्षत्र की बूदें हैं, यदि हृदयांगम कर लीं, तो मोती बन जायेंगी ।
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