Tag: पुरुषार्थ
पुरुषार्थ / भाग्य
कहते हैं – उतने पैर पसारिये, जितनी चादर होय, वरना मच्छर काटेंगे । तो क्या भाग्य के भरोसे पैर सिकोड़कर ही पड़े रहें ? नहीं,
भाग्य / पुरुषार्थ
धर्मध्यान पुण्योदय से नहीं, पुरुषार्थ से, दानांतराय/वीरांतराय के क्षयोपशम से होता है ।
भाग्य / पुरुषार्थ
माचिस मिलना भाग्य, उससे आग लगाना या दीप जलाना पुरुषार्थ ।
माधुर्य / पुरुषार्थ
कृष्ण ने गोवर्धन एक ऊँगली से उठाया पर बांसुरी दो ऊँगली से ! जीवन में माधुर्य के लिये पुरुषार्थ से ज्यादा शक्ति चाहिये ।
पुण्य / पुरुषार्थ
पुण्य क्षमता देता है, पुरुषार्थ उस क्षमता को उपलब्धियों में परिवर्तित कर देता है ।
निमित्त / पुरुषार्थ
भटकन का मुख्य कारण पुरुषार्थ की हीनता । मारीच, भगवान का निमित्त पाकर भी भटकता रहा और मुनियों के संबोधन से पुरुषार्थ जाग्रत कर कल्याण
भाग्य / पुरुषार्थ
लॉकर की दो चाबियाँ हैं, अमूल्य निधी दोनों के लगने पर ही मिलेगी । पुरुषार्थ की चाबी हमारे पास है, भाग्य की मैनेजर के पास
भाग्य और पुरुषार्थ
भाग्य पहले से लिखा हुआ । पुरुषार्थ लाइनों के बीच के space में लिखना तथा लिखे हुए को मिटाना/मिटाकर नया लिखना । चिंतन
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