Tag: ब्र. नीलेश भैया

नमन

नमन में यदि न मन हो, तो नम न हमारा मन हो, ना ही नमन है । ब्र. नीलेश भैया

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बसंत

“बसंत आ गया”, याने “बस अंत आ गया” सही है, बसंत (जीवन का यौवन) के बाद तो ढ़लान शुरु हो जाती है, अंत की ओर

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भगवान

गरीबों के बच्चे भी खाना खा सकें त्यौहारों में, इसलिये भगवान खुद बिक जाते हैं बाज़ारों में । (ब्र.नीलेश भय्या)

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क्रोध

यदि क्रोध आ ही जाये तो अपने आपको मत भूलो । ब्र. नीलेश भैया

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आदत

आदतें यदि समय रहते नहीं सुधारीं तो वे जरूरतें बन जाती हैं । ब्र. नीलेश भैया

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वैराग्य

जलते हुये मकान को व्यक्ति दोनों सोच के साथ ही छोड़ता है – 1. जब उसे भरोसा हो जाता है कि आग उस तक आयेगी

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धोखा

धोखा देने में आप कामयाब इसलिये हुए क्योंकि सामने वाले ने आप पर भरोसा किया था । इसलिये नहीं कि आप होशियार थे । ब्र.

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आचरण

दूसरों को अपने चरणों में झुकाना तो आसान है, पर क्या तुम अपने चरणों में झुक सकते हो ? झुकने योग्य मानते हो ? पैर

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मंगल आशीष

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