Tag: भगवान
मंदिर
भगवान जब हर जगह विद्यमान है तो मंदिर जाने की क्या जरूरत ? हवा जब हर जगह है तो टायर में हवा भरवाने के लिये
भक्त
मेघगर्जन सुनकर मयूर नाचने लगता है, ऐसे ही भक्त भगवान का नाम सुनकर झूमने लगता है । मुनि श्री सौरभसागर जी
पुण्य
वही पुण्य श्रेष्ठ, जिसके उदय में भगवान की याद/ सामीप्य बढ़े । वह पुण्य निकृष्ट है, जिसके आने पर भगवान को भूल जाये/दूरियां बढ़ें ।
भक्ति/आदर
यदि सिंदूर को पत्नी माथे पर धारण करले तो उस एक चुटकी सिंदूर से पत्नी से पति बंध जाता है । ऐसे ही भक्ति/आदर से
स्थायी ख़ुशी
प्रियजनों का सामीप्य मिले तो ख़ुशी मिलती है न ? यदि भगवान को प्रिय बनालो तो हर समय ख़ुशी ही ख़ुशी । चिंतन
मांझी
मांझी पहले दूसरों को किनारे पर उतारता है फिर खुद उतरता है । गुरू/भगवान भी हमको पहले किनारे पहुंचाना चाहते हैं, फिर खुद मोक्ष जाते
भगवान/गुरू
पृथ्वी का वह भाग अंधकारमय हो जाता है जिसका सूर्य की ओर मुँह नहीं होता है ।
भगवान
फ़कीर से एक राजा प्रभावित हो गया। अपने महल में रहने की प्रार्थना की । फ़कीर ने दो शर्तें लगायीं :- मैं जब सोऊँ, तो
भगवान
तू कुछ चाहता है, मैं कुछ चाहता हूँ, होता वह है, जो मैं चाहता हूँ, तू वह करने लग जा जो मैं चाहता हूँ, फिर
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