Tag: भाग्य

भाग्य/पुरूषार्थ

इंतज़ार करने वालों को सिर्फ उतना ही मिलता है, जितना कोशिश करने वालों से बच जाता है । (श्री दीपक जैसवाल – ग्वालियर)

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भाग्य/पुरूषार्थ

पेन की स्याही भाग्य है, उसके द्वारा अच्छा/बुरा लिखा गया पुरूषार्थ है । चिंतन हमारी माँ…चिंतन

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भाग्य/कर्मोदय

आपा रोका जा सकता है, जापा नहीं। स्व.अम्मा जी – एटा (आपा = जो अपने हाथ में हो। जापा = Delivery/कर्मोदय)

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दैव/भाग्य

एक हिलते हुये जीर्णशीर्ण पुल पर एक भक्त ड़रता हुआ जा रहा था । दूसरी ओर देखा देव खड़े हैं । उसने सहायता के लिये

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समता / भाग्य

श्री दुग्गल जी दिल्ली में बैंक के वरिष्ठ अधिकारी थे। उनको कैंसर हो गया और बम्बई इलाज के लिये आते थे। अस्पताल वालों ने विदेश

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भाग्य/पुरूषार्थ

जो सहजता से मिले, वह भाग्य। जो मेहनत से मिले, वह पुरूषार्थ।। आर्यिका श्री प्रज्ञामति माताजी

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मंगल आशीष

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