Tag: मंजू

जीने की कला

तू ज़िंदगी को जी… उसे समझने की कोशिश ना कर । चलते वक्त के साथ तू भी चल, वक्त को बदलने की कोशिश ना कर

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आज़माना

हम भगवान को रोज आज़माते हैं, पर भगवान हमको कभी नहीं आज़माता कि हममें इंसानियत है या नहीं । (मंजू)

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ज़िंदगी

ज़िंदगी जब भी लगा कि तुझे पढ़ लिया । तूने अपना एक पन्ना और खोल दिया । (मंजू)

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झूठी शान

बटुए को कहाँ मालूम था कि पैसे उधार के हैं, वो तो पहले की तरह फूला ही रहा । (मंजू)

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अज्ञानता

ये नादानी भी बेमिसाल है – “अँधेरा दिल में है, दिये मंदिर में जलाये जाते हैं ” (मंजू)

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सम्पर्क

बात करने से ही बात बनती है…! बात न करने से तो बातें बनती हैं…!! (मंजू)

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दिल / दिमाग

जरा संभल के रहना उन “इंसानों” से दोस्तों….! जिन के “दिल” में भी “दिमाग” होता है। (मंजू)

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मंगल आशीष

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