वेद / लिंग
“नपुंसकानि लिंगानि” में लिंग की बात कही है। आगे “शेषास्त्रि वेदा:” में वेद की।
आचार्य श्री विद्यासागर जी का चिंतन… जहाँ लिंग की बात कही है वहाँ द्रव्य तथा भाव एक से जैसे नारकी, सम्मूर्च्छन।
जहाँ वेद कहा, वहाँ वैषम्यता (वेद वैषम्य)।
मुनि श्री प्रणम्यसागर जी (तत्त्वार्थ सूत्र- 2/56)
3 Responses
मुनि श्री प़णम्यसागर महाराज जी ने वेद एवं लिंग को परिभाषित किया गया है वह पूर्ण सत्य है।
‘वैषम्यता’ ka kya meaning hai, please ?
द्रव्य और भाव वेद में जहां सामान्यता ना हो, उसे वैषम्यता कहते हैं।