Tag: मुनि श्री सुधासागर जी
आकर्षण
भगवान की भक्ति करते समय यदि कोई बैरी या प्रियजन दिख जाय तो क्या हमारा ध्यान उधर जाता है ? यदि हाँ तो यह भगवान
दान
महाराणा प्रताप ने जंगल में घास की चार रोटियाँ बनायीं, तीन कोई जानवर उठा ले गया । चौथी रोटी दान की थी, बच्चा तक भूखा
भगवान महावीर का सिद्धांत
एक तरफ भगवान के दर्शन हों, दूसरी ओर चींटी की रक्षा तो पहले चींटी की ओर देखो । चींटी की ओर देखोगे तो भगवान बनोगे,
जीवन से प्रेम
जीवन से प्रेम तो साधू ही करते हैं क्योंकि वे उसकी क़ीमत जानते हैं/सुख में रहते हैं । भिखारी/दुखी के मरने पर सब संतोष करते
इच्छापूर्ति
क्या गुरु/भगवान सामर्थ्यवान नहीं है ? माचिस उसी दीपक को जला सकती है, जिसमें तेल हो/जलने की योग्यता हो । मुनि श्री सुधासागर जी
जन्म / मरण
जनसाधारण जन्म से खुश, मरण से डरता है; साधुजन मृत्यु का महोत्सव मनाते हैं, जन्म से डरते हैं (गर्भ की पीड़ा/बार-बार जन्म से) । मुनि
गुरुदर्शन
चोर साधुओं के पास इसलिये नहीं जाते, क्योंकि उनके पास वह सब नहीं है जो उन्हें चाहिये । यदि हम भी उनके पास नहीं जा
मोरपंख
मोर मांसाहारी पर पंख साधुओं की पीछी में क्यों ? गाय अशुद्ध खाती है, पर दूध शुद्ध । उसका ही मल अशुद्ध और मांस अभक्ष्य
आचरण
प्राय: आचरण का अभिप्राय अच्छे काम करने से लिया जाता है, पर करने से भी ज्यादा महत्वपूर्ण है, क्या नहीं करना चाहिए । मुनि श्री
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