Tag: मोह
मोह
शराबी की लाल आंखों को दवा से ठीक नहीं किया जा सकता । मोह की लाली को हटाने के लिये ज्ञान की दवा पिलानी होगी,
मोह
एक शराबी बीच सड़क में पड़ा था । सब उसे बचने के लिये समझा रहे थे । वह सुन सबकी रहा था पर देख नहीं
मोह/ज्ञान
मोह फोड़ा है, ज्ञान उसे ढ़कने वाला खुरंट, यदि ज्ञान रूपी खुरंट हटाते रहे तो घाव नासूर बन जायेगा । मोह की खुजलाहट तो होगी
अनुकम्पा/मोह
अनुकम्पा आद्रता है, मोह कीचड़, जो अपने ही घर में होती है । चिंतन
मोह/पुरूषार्थ
मोह – घरवालों/प्रियजनों से, पुरूषार्थ – मोह कम करने का प्रयास । श्री लालमणी भाई
मोह/प्रार्थना
मैत्री जब बंध जाती है तब मोह बन जाती है । जब अबंध होकर, लोक में फैल जाती है तब भगवान की प्रार्थना बन जाती
मोह/रागद्वेष
मोह जननी है, रागद्वेष संतति । चिंतन मोह ही संसार का बीज भी है । क्षु. श्री गणेशप्रसाद वर्णी जी
अभ्यस्त
वनस्पति घी खरीदते समय पूँछते हैं – यह असली तो है ना ? नकली को असली मानने लगे हैं, क्योंकि आदत पड़ गयी है ।
मोह/निर्मोह
मोह अपनों से कम करें, निर्मोह दूसरों से कम करें, अंत में मोह और निर्मोह दोनों को समाप्त करें । चिंतन
मोह
मोह पुण्य को पाप में परिवर्तित कर देता है । आचार्य श्री विद्यासागर जी (पुण्य से जो पुत्र आदि मिले हैं, उनसे मोह करके पाप
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