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मैं

अयोध्या से वापस आने पर माँ कौशल्या ने पूछा… “रावण” को मार दिया ? भगवन श्रीराम ने सुन्दर जवाब दिया… महाज्ञानी, महाप्रतापी, महाबलशाली, प्रखंड पंडित,

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घमंड

परेड में “About Turn” बोलते ही, पहला आदमी आख़िरी और आख़िरी आदमी पहले नंबर पर आ जाता है। जीवन में कभी आगे होने का घमंड और आख़िरी

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परिस्थितिवश पाप

परिस्थिति पाप नहीं कराती, पाप तो मन:स्थिति से होता है। जिस परिस्थिति में रागी, पाप करता है; उसी परिस्थिति में वैरागी पुण्य करता है ।

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जीवन

गोपालदास नीरज जी की एक रचना…… छिप-छिप अश्रु बहाने वालों! मोती व्यर्थ लुटाने वालों! कुछ सपनों के मर जाने से जीवन नहीं मरा करता है।

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अकेलापन / एकांत

“अकेलापन”  इस संसार में सबसे बड़ी सज़ा है !    और “एकांत” सबसे बड़ा वरदान !! “अकेलेपन” में छटपटाहट है, घबराहट है; तो “एकांत”में आराम, शांति

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शिकायत

शिकायतें तो बहुत हैं तुझसे ऐ ज़िंदगी, पर चुप इसलिये हूँ कि, जो दिया तूने वो भी कहाँ पूरा जीया हमने … (विजय-आगरा)

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धर्म का फल

धर्म का सहारा समृद्धि के लिये नहीं, संतुष्टि के लिये होता है ।

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मंगल आशीष

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