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भगवान
चाँद* में दाग है, सूरज** में आग है , भगवान वीतराग है । * राग का प्रतीक ** द्वेष का
गुरु / भगवान
आज के समय में भगवान तो होते नहीं है, तो यों समझें कि भगवान ने गुरुओं को Power of Attorney दिया हुआ है ।
भगवान
गरीबों के बच्चे भी खाना खा सकें त्यौहारों में, इसलिये भगवान खुद बिक जाते हैं बाज़ारों में । (ब्र.नीलेश भय्या)
गुरु / भगवान
गुरु/भगवान के दरबार में “द” शब्द वाली वस्तु “स” शब्द में बहुत ही जल्दी बदलती है.. जैसे दुःख बदल जाता है, सुख में; दुविधा बदल
शैतान और भगवान
शैतान से जितना डरते हो, उतना यदि भगवान से डरने लगो, तो जीवन से शैतानियत ही समाप्त हो जाय । चिंतन
भगवान
सबसे पहले भाषा अच्छी होनी चाहिए, फिर भावना (गिरे हुओं को झुककर उठाने की भावना), अंत में भाग्यवान, बस बन जाओ भगवान । मुनि श्री
मैं और भगवान
क्यों इतना वक्त गुजारते हो, खुद को देखते हुए आइने में ? कुछ वक्त बैठो प्रभु के सामने, खूबसूरत हो जाओगे सही मायने में। (जे.पी.शर्मा)
भगवान और मैं
प्रसाद भगवान को चढ़ाते हैं, मिठाई अपने पसंद की, अगले मंगलवार तक, रोजाना, तीनों time, Sweetdish बनाकर खुद खा जाते हैं।
भगवान/गुरू से मांगना
किसान दाना बोते समय भूसे की इच्छा नहीं, दाने* की ही भावना भाता है ; भूसा** तो अपने आप मिल जाता है । भूसे की
भगवान बनना
जब पत्थर,पहाड़ के प्रति अपना मोह छोड़ देता है और छैनी हथौडे की पीडा सहता है, तब भगवान बनता है। चिंतन
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