अतीत में जीना मोह है,
वर्तमान में जीना कर्मयोग है,
भविष्य में जीना लोभ है।
आचार्य श्री विद्यासागर जी
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आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी का कथन सत्य है कि अतीत में जीना मोह रुप है, वर्तमान में जीना ही कर्मयोग है, जबकि भविष्य में जीना लोभ का कारण होता है। अतः अतीत के सकारात्मक विचार लेकर वर्तमान में जीना ही उचित होगा ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है। भविष्य की ठोस योजना लेकर ही चलना चाहिए , वर्तमान के अनुभव से ही योजना बनाना उचित होगा।
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आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी का कथन सत्य है कि अतीत में जीना मोह रुप है, वर्तमान में जीना ही कर्मयोग है, जबकि भविष्य में जीना लोभ का कारण होता है। अतः अतीत के सकारात्मक विचार लेकर वर्तमान में जीना ही उचित होगा ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है। भविष्य की ठोस योजना लेकर ही चलना चाहिए , वर्तमान के अनुभव से ही योजना बनाना उचित होगा।