मुनि श्री प़णम्यसागर महाराज का अभव्य एवं अभव्य समान भव्य का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है। Reply
6 Responses
मुनि श्री प़णम्यसागर महाराज का अभव्य एवं अभव्य समान भव्य का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है।
‘अभव्य समान भव्य’ ka kya meaning hai, please ?
है भव्य पर उसे कभी निमित्त नहीं मिलेगा, इस अपेक्षा से अभव्य कहा।
That means ‘दुरानुदूर’ bhavya, right ?
सही।
Okay.