गुरूर में इंसान को कभी इंसान नहीं दिखता,
जैसे
छत पर चढ़ जाओ तो अपना ही मकान नहीं दिखता…
(सुरेश)
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अभिमान या गुरुर करना इंसान का बहुत बडा़ दुर्गुण है जिसके कारण वह इंसान जीवन में अपना उद्धार नहीं कर सकते हैं।अधिकतर लोग मान की अपेक्षा रखते हैं, वही अभिमानी हो जाते हैं।अतः उचित होगा कि दूसरो का मान करना चाहिए लेकिन मान की अपेक्षा नहीं करना चाहिए।जो लोग मान की अपेक्षा करते हैं वही लोगो को इंसान को कभी इंसान दिखाई नहीं देता है।
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अभिमान या गुरुर करना इंसान का बहुत बडा़ दुर्गुण है जिसके कारण वह इंसान जीवन में अपना उद्धार नहीं कर सकते हैं।अधिकतर लोग मान की अपेक्षा रखते हैं, वही अभिमानी हो जाते हैं।अतः उचित होगा कि दूसरो का मान करना चाहिए लेकिन मान की अपेक्षा नहीं करना चाहिए।जो लोग मान की अपेक्षा करते हैं वही लोगो को इंसान को कभी इंसान दिखाई नहीं देता है।