“सहस्त्र अठोत्तर कलशा, श्री जी के सिर ढ़ुरें….”
अभिषेक के समय नहीं पढ़ना चाहिये, क्योंकि हम जन्माभिषेक नहीं जिनाभिषेक करते हैं ।
मुनि श्री सुधासागर जी
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4 Responses
अभिषेक का मतलब जिन प़तिमा के स्नयत या प़क्षालन होता है,इसका मूल उद्देश्य अपने आत्म परिणामों की निर्मलता रहती है। अतः उक्त कथन सत्य है कि उक्त मंत्र अभिषेक के समय नहीं पढ़ा जाना चाहिए क्योंकि यह मंत्र जन्माभिषेक में पढ़ा जाता है।
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अभिषेक का मतलब जिन प़तिमा के स्नयत या प़क्षालन होता है,इसका मूल उद्देश्य अपने आत्म परिणामों की निर्मलता रहती है। अतः उक्त कथन सत्य है कि उक्त मंत्र अभिषेक के समय नहीं पढ़ा जाना चाहिए क्योंकि यह मंत्र जन्माभिषेक में पढ़ा जाता है।
“अठोत्तर” ka kya meaning hai, please?
सहस्त्र अठोत्तर = 1008
Okay.