14 वें गुणस्थान में 5 शब्द (अ, इ, उ, ऋ, लृ) बोलने का समय लगता है, ये वचन तथा काय ऋद्धिधारी मुनि के बोलने का समय होता है ।
आचार्य श्री विद्यासागर जी
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केवली– चार घातिया कर्मों के क्षय होने से केवल ज्ञान प्राप्त हो गया हो वे केवली कहलाते हैं, इन्हें अर्हंन्त भी कहते हैं। यह दो प्रकार के होते हैं सयोग और अयोग केवली। केवली भगवान् जब तक बिहार और उपदेश आदि क़ियाएं करते हैं तब तक सयोग केवली कहते हैं।आयु के अंतिम कुछ क्षणों में जब हर क़ियाओं का त्याग करके योग निरोध कर लेते हैं तब वे अयोग केवली कहलाते हैं।
अतः जो कथन किया है वह पूर्ण सत्य है।
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केवली– चार घातिया कर्मों के क्षय होने से केवल ज्ञान प्राप्त हो गया हो वे केवली कहलाते हैं, इन्हें अर्हंन्त भी कहते हैं। यह दो प्रकार के होते हैं सयोग और अयोग केवली। केवली भगवान् जब तक बिहार और उपदेश आदि क़ियाएं करते हैं तब तक सयोग केवली कहते हैं।आयु के अंतिम कुछ क्षणों में जब हर क़ियाओं का त्याग करके योग निरोध कर लेते हैं तब वे अयोग केवली कहलाते हैं।
अतः जो कथन किया है वह पूर्ण सत्य है।