अवस्थायें

अवस्थाएं….
1. सुप्त – सुधबुध नहीं रहना। ज़्यादातर लोग इसी अवस्था के होते हैं।
2. स्वप्न – नयी दुनिया की रचना।
3. जाग्रत – जीवन का यथार्थ पता लग जाता है।
4. प्रबुद्ध – कल्याण के लिये प्रयत्नरत।

मुनि श्री प्रमाणसागर जी

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One Response

  1. उपरोक्त कथन सत्य है कि जीवन में अवस्थाएं इस प्रकार की होती हैं।सुप्त का मतलब सुधबध में नहीं रहना, ज्यादातर इसी प्रकार के लोग मिलते हैं। स्वप्न का मतलब नयी दुनिया की रचना। जाग्रत का मतलब यथार्थ जीवन का पता लग जाता है। इसके साथ प़बुद्व अवस्था का मतलब कल्याण के लिए प़यत्न रत रहता है। अतः जीवन में जाग्रत एवं प़बुद्व की अवस्थाएं ही जीवन का कल्याण करने में समर्थ हो सकती हैं।

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