अहम्
इस मार्च एन्डिंग में, जीवन की बैलेंस शीट जांचने की इच्छा हुई,
तो पाया कि प्रेम,स्नेह,आत्मीयता,भाईचारा और कर्तव्यनिष्ठा के खाते ही गायब हैं।
मन के ‘मुनीम’से पूछा तो वो बोला –
सर जी, वर्षो से इनके साथ कोई लेनदेन हुआ ही नहीं।
ना जाने कितने रिश्ते ख़त्म कर दिये इस भ्रम ने-
कि मैं ही सही हूँ,
और सिर्फ़ मैं ही सही हूँ….!!
2 Responses
Really True.. we always keep account for money in bank but not for these things which are really important..
Regards,
Anju
Also jab balance sheet mein, Assets aur liabilities ko equal karte hain, life mein hum materialistic things(liabilities) or love,friendship,devotion to duty,etc;(Assets) ko balance kyun nahin karte?