आगम-ज्ञान
महावीर भगवान के बाद 3 केवली…. गौतमस्वामी, सुधर्मास्वामी व जम्बूस्वामी, इनका 62 साल का काल रहा।
फिर 5 श्रुतकेवली…. विश्व, नन्दीमित्र, अपराजित, गोवर्धन तथा भद्रबाहू, इनका काल 100 वर्ष का।
588 वर्ष बाद आचार्य धरषेण तक गुरु/शिष्य परम्परा से ज्ञान चला, धरषेण जी से पुष्पदंत, भूतबली जी ने ज्ञान सीख कर श्री षटखंडागम की रचना की।
मुनि श्री प्रमाणसागर जी
2 Responses
उपरोक्त कथन सत्य है कि आगम ज्ञान के लिए षटखंडागम पढना या समझना परम आवश्यक है, क्योंकि उक्त ग़ंथ भगवान की वाणी है! अतः जीवन के कल्याण के लिए भगवान की वाणी पर श्रद्धान होना चाहिए!
Yahan par jo ’39 साल’ aur ‘100 वर्ष’ ki baat ho rahi hai, wo un sabka total kaal hai, right ?