आचरण के बिना “साक्षर” बने रहने में (इसके विपरीत) “राक्षस” बन जाने का ख़तरा भी रहता है।
आचार्य श्री विद्यासागर जी
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आचरण का तात्पर्य जिसका आचार, विचार, व्यवहार पवित्र होता है। अतः आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी का कथन सत्य है कि साक्षर में यदि आचरण नहीं होता है, तो राक्षस बनने का खतरा बना रहता है। अतः जीवन का कल्याण करने के लिए आचरण पवित्र होना चाहिए।
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आचरण का तात्पर्य जिसका आचार, विचार, व्यवहार पवित्र होता है। अतः आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी का कथन सत्य है कि साक्षर में यदि आचरण नहीं होता है, तो राक्षस बनने का खतरा बना रहता है। अतः जीवन का कल्याण करने के लिए आचरण पवित्र होना चाहिए।