अस्तित्व, वस्तुत्व आदि गुणों की अपेक्षा आत्मा अचेतन है।
आचार्य श्री विद्यासागर जी (स्वरूप सम्बोधन पंचविशंति – गाथा 3 – अकलंकदेव)
Share this on...
4 Responses
आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी ने आत्म अचेतन का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है! लेकिन आत्मा चेतन है जो ज्ञान, दर्शन का मूल रूप है, इसके बिना जीवन का कल्याण नहीं हो सकता है! अतः धर्म से जुडकर भेद विज्ञान की जानकारी होना परम आवश्यक है!
4 Responses
आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी ने आत्म अचेतन का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है! लेकिन आत्मा चेतन है जो ज्ञान, दर्शन का मूल रूप है, इसके बिना जीवन का कल्याण नहीं हो सकता है! अतः धर्म से जुडकर भेद विज्ञान की जानकारी होना परम आवश्यक है!
‘अस्तित्व गुण’, kya ‘चेतन’ ka nahi ho sakta ?
चेतन के अस्तित्व को identify कैसे करेंगे ?
जब वह पुदगल/ शरीर के सानिध्य में ही होगा तभी न !
Okay.