आत्मा भी अंदर है,
परमात्मा भी अंदर है ।
तो आत्मा के परमात्मा से मिलने का रास्ता भी तो अंदर ही होगा न !
अतः “खुद”को”खुद” के अंदर ही बोध करो…
(सुरेश)
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जो यथा संभव ज्ञान, दर्शन, सुख आदि गुणो के परिणमन करती है वही आत्मा है।।
परमात्मा-सर्व दोषो से रहित शुद्व आत्मा को कहते हैं।
आत्मा और परमात्मा सभी अंदर है इसलिये आत्मा के परमात्मा से मिलने का रास्ता अंदर ही है।
अतः आत्मा के विकारो को नष्ट करने पर ही परमात्मा बन सकते हो।
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जो यथा संभव ज्ञान, दर्शन, सुख आदि गुणो के परिणमन करती है वही आत्मा है।।
परमात्मा-सर्व दोषो से रहित शुद्व आत्मा को कहते हैं।
आत्मा और परमात्मा सभी अंदर है इसलिये आत्मा के परमात्मा से मिलने का रास्ता अंदर ही है।
अतः आत्मा के विकारो को नष्ट करने पर ही परमात्मा बन सकते हो।