आदिनाथ भगवान का जन्मदिन श्रावकों के लिए विशेष महत्व का है । क्योंकि उन्होंने ही सर्वप्रथम जीवन चलाने की पद्धति (खेती, व्यापार, कला, रक्षा आदि) सिखाई थी ।
Share this on...
One Response
युग के प़ारंभ में हुए प़थम तीर्थकंर श्री आदिनाथ भगवान हैं ।कर्मभूमि के प़ारंभ में प़जा को अहिंसा-प़धान जीवन पद्विती सिखलाने के अभिप़ाय से इन्होने असि, कृषि, विघा और शिल्प आदि का उपदेश दिया गया था।
अतः भगवान् श्री आदिनाथ का जन्म दिन मनाना आवश्यक है,जिसके कारण उनके उपदेशो का पालन हो सकता है।भगवान् श्री आदिनाथ का वैदो और पुरुणो में भी वर्णन मिलता है।
अतः यह स्पष्ट है कि भगवान् आदिनाथ ने ही इस युग को प़ारंभ किया गया था।
One Response
युग के प़ारंभ में हुए प़थम तीर्थकंर श्री आदिनाथ भगवान हैं ।कर्मभूमि के प़ारंभ में प़जा को अहिंसा-प़धान जीवन पद्विती सिखलाने के अभिप़ाय से इन्होने असि, कृषि, विघा और शिल्प आदि का उपदेश दिया गया था।
अतः भगवान् श्री आदिनाथ का जन्म दिन मनाना आवश्यक है,जिसके कारण उनके उपदेशो का पालन हो सकता है।भगवान् श्री आदिनाथ का वैदो और पुरुणो में भी वर्णन मिलता है।
अतः यह स्पष्ट है कि भगवान् आदिनाथ ने ही इस युग को प़ारंभ किया गया था।