सम्यग्दर्शन, सम्यग्ज्ञान, सम्यक्चारित्र जिसका आवास/ आधार/ निमित्त है, वह आयतन है;
इससे जो विपक्ष है उसे अनायतन कहते हैं । वीतराग सम्यग्दृष्टि के लिए विषय और कषाय से उठना ही अनायतन से बचना है।
आचार्य श्री विद्यासागर जी
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आयतन का तात्पर्य सम्यग्दर्शन आदि गुणों के आधार आश्रय को कहते हैं,सच्चे देव, शास्त्र और गुरु के उपासक होते हैं,इस प्रकार छह आयतन होते हैं ।
आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी का कथन सत्य है आयतन के विपरीत सम्यग्द्वष्टि के लिए विषय और कषाय से उठाना ही अनायतन से बचना होगा। अतः जीवन में आयतन पर श्रद्वान करने पर ही कल्याण हो सकता है।
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आयतन का तात्पर्य सम्यग्दर्शन आदि गुणों के आधार आश्रय को कहते हैं,सच्चे देव, शास्त्र और गुरु के उपासक होते हैं,इस प्रकार छह आयतन होते हैं ।
आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी का कथन सत्य है आयतन के विपरीत सम्यग्द्वष्टि के लिए विषय और कषाय से उठाना ही अनायतन से बचना होगा। अतः जीवन में आयतन पर श्रद्वान करने पर ही कल्याण हो सकता है।