आयु / कर्म

आयु कट रही है जैसे कैंची कपड़े काटती है,
कर्म बढ़ रहे हैं जैसे अलमारी में कपड़े,
क्या करें ?

कैंची तो अपना कर्तव्य करती ही रहेगी,
तुम्हारा कर्तव्य है – आयु बढ़ने के साथ साथ कपड़ों को कम करते चले जाना ।

मुनि श्री प्रमाण सागर जी

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One Response

  1. आयु कर्म का मतलब जिस कर्म के उदय से जीव मनुष्य आदि भव धारण करता है, ये चार प्रकार के हैं। अतः मुनि श्री प़माण सागर महाराज जी ने जो उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन में ऐसे कर्म करना आवश्यक है ताकि अच्छे भव को प्राप्त करने में समर्थ हो सकते हैं।

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