जिस कर्म के उदय से जीव इन्द़िय विषयों में आसक्त होकर रमता है उसे रति कहते हैं,अथवा मनोहर वस्तुऔ के प़ति अत्यन्त प़ीति होना रति है।आरति होना वह विशेष अभिनंदन के योग्य होते हैं।अतः रति से विरक्ती होना ही आरति है। Reply
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जिस कर्म के उदय से जीव इन्द़िय विषयों में आसक्त होकर रमता है उसे रति कहते हैं,अथवा मनोहर वस्तुऔ के प़ति अत्यन्त प़ीति होना रति है।आरति होना वह विशेष अभिनंदन के योग्य होते हैं।अतः रति से विरक्ती होना ही आरति है।