आर्यिका की निर्जरा हमेशा ऐलक से ज्यादा होती रहती है ।
मुनि बनने के सम्मुख खड़े ऐलक की, आर्यिका से अधिक होती है ।
पं. रतनलाल बैनाड़ा जी
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आर्यिका—-गुरु की आज्ञा में रहकर अहिंसा आदि पाँच महाव़तो का यथायोग्य करने वाली श्रेष्ठ महिलाऔ को कहते हैं।
ऐलक—जो श्रावक की समस्त ग्यारह प़तिमाऔ का पालन करते हैं।अतः नियम अनुसार आर्यिका की निर्जरा ऐलक से अधिक होती है।
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आर्यिका—-गुरु की आज्ञा में रहकर अहिंसा आदि पाँच महाव़तो का यथायोग्य करने वाली श्रेष्ठ महिलाऔ को कहते हैं।
ऐलक—जो श्रावक की समस्त ग्यारह प़तिमाऔ का पालन करते हैं।अतः नियम अनुसार आर्यिका की निर्जरा ऐलक से अधिक होती है।