क्या आलोचना/ प्रतिक्रमण नकारात्मकता नहीं लाते ?
जीवन में सकारात्मकता/ नकारात्मकता दोनों महत्त्वपूर्ण हैं। सकारात्मकता हताश होने पर, नकारात्मकता जब पुण्योदय में मदहोश हो रहे हों।
मुनि श्री प्रणम्यसागर जी (शंका समाधान – 23.9.23 )
Share this on...
One Response
मुनि श्री प़णम्यसागर महाराज जी ने आलोचना एवं प़तिक्रमण को परिभाषित किया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन के कल्याण के लिए कम से कम एक प़तिकृमण करना परम आवश्यक है।
One Response
मुनि श्री प़णम्यसागर महाराज जी ने आलोचना एवं प़तिक्रमण को परिभाषित किया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन के कल्याण के लिए कम से कम एक प़तिकृमण करना परम आवश्यक है।