सात तत्त्वों में पहले जीव, अजीव तब आस्रव कहा है, यानि आस्रव जीव + अजीव से होता है, न अकेले जीव से, न अकेले अजीव से।
जैसे बच्चा माता-पिता दोनों के मिलने पर होता है।
आचार्य श्री विद्यासागर जी
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आश्रव का तात्पर्य पुण्य पाप रुप कर्मों के आवागमन को कहते हैं। अतः उपरोक्त कथन सत्य है कि सात तत्वों में पहिले जीव फिर अजीव कहा गया है, यानी आश्रव जीव+ अजीव से होता है न अकेले जीव से न अकेले अजीव से। बच्चा माता पिता के मिलने पर ही होता है।
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आश्रव का तात्पर्य पुण्य पाप रुप कर्मों के आवागमन को कहते हैं। अतः उपरोक्त कथन सत्य है कि सात तत्वों में पहिले जीव फिर अजीव कहा गया है, यानी आश्रव जीव+ अजीव से होता है न अकेले जीव से न अकेले अजीव से। बच्चा माता पिता के मिलने पर ही होता है।