उत्तम क्षमा
1) क्षमा शब्द में “क्ष” से क्षय/ खत्म होना। “मा” से माँ बचाने वाली, जो गुणों को क्षय होने से बचाए।
2) क्षमा मोक्ष का इंडिकेटर है/ आनंद देने वाली है/ नंदनवन है।
3) क्रोध तीन तरह का… सात्विक/ क्षणिक जैसे गुरु शिष्य पर करते हैं, यह उत्तम पुरुषों के द्वारा होता है, दूसरा राजसिक जो एक मुहूर्त तक(48 मिनट), यह सामान्य जन के द्वारा, तीसरा तामसिक बिना बात के गुस्सा करने वाले, यह जीवनपर्यंत और कई दफा तो भव-भवांतर तक चलता है।
4) क्रोध खत्म करने के उपाय… क्रोध को देखो जानो, पोस्पोन करो, क्षेत्र परिवर्तन करो, चिंतन करो कारण क्या होगा, भगवान का नाम लो, अपनी शक्ल दर्पण में देखो, मुँह में पानी भर लो क्रोध पानी पानी हो जाएगा।
आर्यिका श्री पूर्णमति माताजी
4 Responses
आर्यिका श्री पूर्ण मती माता जी ने परिभाषित किया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन के कल्याण के लिए कभी क़ोध के भाव नहीं रहना चाहिए, बल्कि क्षमा के भाव रहना परम आवश्यक है। क्षमा के विपरीत क़ोध होता है।
‘तीसरा तामसिक बिना बात के गुस्सा करने वाले, यह जीवनपर्यंत और कई दफा तो भव-भवांतर तक चलता है।’ Iska example denge, please ?
रावण।
Okay.