उत्तम शौच
- पवित्रता का नाम शौच है ।
- एक संत सबको आशीर्वाद देते थे – ‘मनुष्य भव:’।
पूंछने पर बताया – आकृति तो तुम लोगों की मनुष्य की है पर प्रकृति जानवरों की ।
अपने समकक्ष को देखकर कुत्ते की तरह भौंकते हो,
किसी के थोड़ा भी व्यवहार गलत करने पर गधे की तरह लात मारते हो,
सांप की तरह धन पर कुंड़ली मारे रहते हो,
बकरी की तरह हर समय मुंह चलता रहता है और ‘मैं मैं’ करते रहते हो,
चींटी और मधुमक्खी की तरह संकलन करते रहते हो, चाहे दूसरे उसको चुराते रहें ।
जानवर कभी भगवान नहीं बनते, उन्हें पहले मनुष्य बनना होता है ।
- बंजर भूमि की पहले सफाई करनी होगी, अंहकार के पत्थर, माया की दीमक, क्रोध के अंगारे और लोभ की गंदगी हटानी होगी, तभी धर्म की फसल लगेगी ।
- क्रोध दिमाग में रहता है, मान गर्दन में, माया हॄदय में तथा लोभ पेट में जो कभी भरता नहीं है ।
- इच्छा आसमान जैसी है, दूर से धरती से मिलती हुई दिखाई देती है पर पास जाने पर और दूर हो जाती है ।
- जितनी भूख उतनी ही खुराक होनी चाहिये थी,
पर हमारी जितनी खुराक बढ़ती जाती है, हम अपनी भूख उतनी ही बढ़ाते जाते हैं ।
हम खाना नहीं खा पाते हैं, वैभव के बदले सम्मान खाते रहते हैं ।
जिस वजह से वैभव आ रहा है, उस पुण्य को बढ़ायें । उससे वैभव की रक्षा होगी, अचानक चले जाने पर शोक नहीं होगा तथा जल्दी ही आवश्यकतानुसार वापस भी आ जायेगा ।
- कंजूस आदमी को कब्ज जैसा होता है,
पेट में मैला है पर निकलता नहीं है, उसे बेचैनी रहती है और दु:ख की बदबू भी आती रहती है ।
इनकी तीन Categories होती हैं –
1 – मक्खीचूस – ना खाता है, ना खिलाता है ।
बच्चों के सिर पर हाथ इसलिये फेरता है ताकि वो तेल अपने बालों पर लगा सके ।
2 – कंजूस – खुद खाता है पर दूसरों को नहीं खिलाता है ।
हंसता नहीं है वरना व्यवहार करना पड़ेगा ।
3 – उदार – खाता भी है, खिलाता भी है ।
- क्रोध बहुत कम समय के लिये आता है,
मान जब तक माला नहीं पहनाई जाये तबतक रहता है,
माया जब तक उल्लू सीधा ना हो जाये तब तक,
पर लोभ जीवन पर्यंत रहता है ।
- हम’And‘ के चक्कर में ना रहें, ‘End‘ की सोचें ।
मुनि श्री सौरभसागर जी
One Response
I just read somewhere “Be grateful that you dont have everything that you want.
It means that you have an opportunity to be happier tomorrow than you are today.