उत्तम शौच (लोभ न करना)
अपन आनन्द लें उस चीज़ का जो अपने को प्राप्त है।
जो अपने पास है वह नहीं दिखता, जो दूसरों के पास है हमें वह दिखता है।
मुनि श्री क्षमासागर जी
अपन आनन्द लें उस चीज़ का जो अपने को प्राप्त है।
जो अपने पास है वह नहीं दिखता, जो दूसरों के पास है हमें वह दिखता है।
मुनि श्री क्षमासागर जी
One Response
उत्तम शौच का तात्पर्य लोभ का त्याग करना, जिससे मन में पवित्रता आती है। अतः मुनि महाराज श्री क्षमासागर जी का कथन सत्य है कि आंनद लेना चाहिए जो अपने पास है। अतः दूसरों के प्रति क्या है,इसका विचार नहीं करना चाहिए।जीवन में प्राप्त को पर्याप्त समझना चाहिए ताकि लोभ के भाव नहीं रहेंगे।